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मेरी जैसी मोहब्बत ना - Hindi Sachai Kavita

हर राह से गुजरा हूँ 
बहुत मजबूत था कभी
अब टूट के बिखरा हु

देखता लोगे के इश्क के जज्बात को 
oyo में कट रही रात को
जिस्मानी होना चाहते है 
तन्हाई में देखता मोहब्बत की जात को
सच्चाई देखी ना किसी हालात को

हर बात पर ठोकर खा रहा हूं
उसको छोड़े सालो हो गए 
में अभी भी उसको चाह रहा हूँ

कलम ले पन्नो को दर्द में 
डूबा रहा हूँ

वो रहे खुश किसी भी
नज्म में ना उसे बेवफा बात रहा हु

आज भी में तुम्हें चाह रहा हूँ

हूँ block व्हाट्सएप पे
फिर भी तेरी Empty Dp को 
खोले जा रहा हूँ

सोचता हु करदु wish तेरे birthday पे
बस ये बात सोचते ही जा रहा हूँ

एक दो फ़ोटो save है तेरी
गैलरी में मेरी
उन्हें देख में जी रहा हूँ
रात क्या में तो दिन में भी पी रहा हूँ 

दर्द ले के कितना में जी रहा हूं
सोचता हु करलू मोहब्बत की गुस्ताखी दुबारा
कम हो रहा है सायद अब गम हमारा

तू लौट के तो आने से रही
मेरी तरह किसी ओर को चाहने से रही

हर आशिक़ को लगता है
मेरी जैसी मोहब्बत ना
अब इस जमाने में रही

लेखक :- कविन्द्र पूनिया
अगर आप को अच्छी लगे मेरी कविता तो आप अपना सुझाव comment में जरूर दे अगर कोई गलती हो उसके लिए क्षमा कर दे

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